कोरोनावायरस के प्रकोप से सुप्रीम कोर्ट भी चिंतित है। शीर्ष अदालत के जस्टिस अरुण मिश्रा ने बुधवार को कहा कि हर सौ साल में ऐसी महामारी फैलती है। घोर कलयुग में हम इस वायरस से नहीं लड़ सकते। इस तरह के वायरस के आगे इंसान की कोशिशें बौनी साबित हो जाती हैं। इनसे हमें अपने स्तर पर लड़ने की जरूरत है। सरकार के स्तर पर हम इसका मुकाबला नहीं कर सकते।
जस्टिस मिश्रा ने एक सुनवाई के दौरान कोर्ट में वकीलों की भीड़ को लेकर यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा, ‘‘इंसान की कमजोरी देखिए, आप हथियार बना सकते हैं, लेकिन ऐसे वायरस से नहीं लड़ सकते।’’ सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह ने वरिष्ठ वकील आर्यमान सुंदरम से कहा, ‘‘आप पांच-छह वकीलों के साथ ही आते हैं। हम बार से भी आग्रह करते हैं कि एक वरिष्ठ वकील अपने साथ सिर्फ एक वकील ही लाए। यह हमारे भले के लिए ही है।’’
19 मार्च से 4 बेंच ही बैठेंगी
कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए 19 मार्च से सुप्रीम कोर्ट में आधा स्टाफ ही ड्यूटी पर आएगा। सुप्रीम कोर्ट में केवल चार बेंच ही बैठेंगी। गौरतलब है कि बीते दो दिनों में देश में कोरोनावायरस के 50 से ज्यादा मरीज बढ़े हैं।
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सुप्रीम कोर्ट ने जेल अधिकारियों से भी वैकल्पिक योजना मांगी
सुप्रीम कोर्ट जेल में बंद कैदियों के बीच कोरोनावायरस के संक्रमण फैलने को लेकर भी चिंतित है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने सोमवार को जेल अधिकारियों से पूछा था कि वे इस परिस्थिति से कैसे निपटेंगे? उन्होंने जेल अधिकारियों को कोरोना पर लगाम लगाने की वैकल्पिक योजना देने को कहा है। देश की 1,339 जेलों में करीब 4 लाख 66 हजार 84 कैदी हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, देश की जेलों में कैदियों की औसत संख्या 117.6% है। उत्तर प्रदेश में यह दर 176.5% और सिक्किम में 157.3% है।